बर्बादी की कगार पर परमिट रूम मालिक

भिवंडी - वैश्विक महामारी से २५ मार्च से हुए लाक डाउन की वजह से भिवंडी तालुका स्थित करीब १४५ परमिट रूम की दुकानों में तालाबंदी हो चुकी है. भिवंडी शहर में करीब ५५ एवं भिवंडी ग्रामीण क्षेत्र में करीब ९० परमिट रूम की दुकानें हैं, जिनमें हजारों शिक्षित लोग रोजगार प्राप्त करते हैं. लॉक डाउन की वजह से लाकडाउन बंद हुए उद्योग में काम करने वाल हजारों प्रवासी मजदूर थक हार कर मुलुक पलायन कर चुके हैं. मजदूरों के अभाव में मालिकों के समक्ष दुकानों को पुनः खोलना चुनौती भरा साबित होने वाला है. परमिट रूम में काम करने वाले यूपी, बिहार, झारखंड, कर्नाटक आदि क्षेत्रों के हजारों मजदूर दुख झेलकर, परेशान होकर पलायन कर चुके हैं. एसोसिएशन खजांची प्रीती पैलेस के मालिक प्रज्जवल शेखर शेट्टी के अनुसार, परमिट रूम के मालि कों द्वारा सरकार सहित स्थानीय मनपा प्रशासन को प्रतिवर्ष टैक्स, जीएसटी, फीस के तौर पर प्रति दुकानदार लाखों रुपया चुकाया जाता है. दुकानदारों द्वारा २०२०- २१ का एडवांस टैक्स चुकाया जा चुका है. करीब ढाई माह से रोजगार बंद होने से लाइट बिल, पानी बिल, हाउस टैक्स, भाड़ा, बैंक ईएमआई चुकाना बेहद मुश्किल हो गया है. सरकार ने लाक डाउन के दौरान ही शराब, बीयर की दुकानों को ग्राहकों लाकडाउन समय हेतु खोल दिया. बावजूद परमिट की दुकानों को नहीं खोलकर मालिकों के साथ बेहद नाइंसाफी की है. शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में परमिट रूम बंद होने से गली-गली में शराब की दुकानें खुल गई हैं, जिनसे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है. आश्चर्यजनक तथ्य है कि परमिट रूम मालिकों द्वारा जहां सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए राजस्व चुकाया जाता है। भिवंडी तालुका स्थित परमिट रूम मालिक प्रतिवर्ष राजस्व के रूप में शासन को करीब साढे ५ लाख रुपये टैक्स, फीस आदि के रूप में चुकाते हैं बावजूद सरकार की उपेक्षा झेल रहे हैं.


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