लाइफ लाइन के बिन मुंबई अधूरी

मंथन संवाददाता - मुंबई / ठाणे 
 कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन-५ में मुंबई सहित उपनगरों में कुछ शर्तो के साथ अनलॉक किए जाने का निणNय लिया गया है. सोमवार से आंशिक रूप से सरकारी, गैरसरकारी कार्यालय व अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल जाने से काफी भीड़ नजर आ रही है. आवागमन के लिए एसटी, बेस्ट और अन्य वाहन चल रहे हैं.बसों को विरार,नालासोपारा, ठाणे, कल्याण, बदलापुर से पनवेल तक चलाया जा रहा है,इनमें भारी भीड़ हो रही है.परंतु लोगों का मानना है,कि मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें जब तक शुरू नहीं होंगी,तब तक मुंबई की लाइफ पटरी पर नहीं आ सकती.


अत्यावश्यक कार्य में लगे पुलिस, स्वास्थ्य-कर्मी, मंत्रालय सहित राज्य के अन्य कर्मचारियों के लिए  मुंबई लोकल चलाने की मांग राज्य सरकार की ओर से की जा रही है,लेकिन लोकल में सोशल डिस्टेंसिंग की सबसे बड़ी समस्या को देखते हुए लोकल चलाना मुंबई के लिए खतरा माना जा रहा है.रेल मामलों के जानकार अनिल तिवारी ने कहा कि स्टेशनों पर यात्रियों की थर्मल जांच की व्यवस्था कर कुछ लोकल सेवा शुरू की जानी चाहिए. लॉकडाउन के पहले लोकल से यात्रा करने वाले नौकरीपेशा राम यादव ने कहा कि मुंबई में आम लोगों के लिए लोकल का कोई विकल्प नहीं है.  



ऑफिस और अन्य सेवा शुरू हो रही है,तो लोकक चलानी ही पड़ेगी. यात्री सेवा सुविधा संगठन के अध्यक्ष पारसनाथ तिवारी ने कहा कि बिना लोकल के लॉकडाउन खोलने का कोई अर्थ ही नहीं है.मुंबई में मध्यम व निम्नवर्ग लोकल से ही यात्रा अफोर्ड कर सकता है.अन्य यात्री संगठनों का भी 
कहना है,कि धीरे-धीरे लोकल शुरू होनी चाहिए.उधर रेल अधिकारियों के अनुसार कोरोना के रेड जोन में मुंबई-ङ्गाणे की स्थिति देखते हुए लोकल ट्रेन चलाना खतरे से खाली नहीं है. रेल प्रशासन को डर है कि,यदि लोकल ट्रेनें शुरू हो गईं तो मुंबई और उपनगरों की स्थिति और खराब हो सकती है. वैसे रेल अधिकारियों को मुंबई लोकल चलाने रेलवे बोर्ड के निर्णय का इंतजार है.  


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