५०० आवारा कुत्तों का वैक्सिनेशन
ठाणे। भले ही ठाणे मनपा प्रशासन ठाणे शहर को स्मार्ट सिटी बनाने हाथ-पैर मार रहा हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन नागरिकों को आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्त नहीं करा पाया है। ये कुतेे सालाना साढ़े चार हजार लोगों को काट रहे हैं। ऐसी स्थिति में न तो इन आवारा कुत्तों के बंध्याकरण के लिए प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की पहल की जा रही है और न ही आवारा कुत्तों के वैक्सिनेशन का अभियान ही चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में मनसे ने अनोखी पहल की है। लगातार दो दिन इन कुत्तों के वैक्सिनेशन का अभियान चलाया गया। कुल ५०० आवारा कुत्तों का वैक्सिनेशन किया गया। उक्त अभियान में पॉज संस्था का अहम सहयोग रहा है।
कई सालों से ठाणे मनपा प्रशासन ने आवारा कुत्तों के बंध्याकरण अभियान पर विराम लगा दिया है। जिस कारण ठाणे शहर में आवारा कुत्तों की संखया काफी बढ़$ गई है। इन बातों की जानकारी देते हुए मनसे के जनहित एवं कानून विभाग के अध्यक्ष स्वप्निल महिंद्राकर ने ठाणे मनपा आयुक्त डॉ. विपीन शर्मा से मांग की है कि ठाणे शहर को आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्त कराने की पहल की जाए।
आवारा कुत्तों की संभीर होती समस्या को देखते हुए मनसे की ठाणे इकाई ने आवारा कुत्तों के वैक्सिनेशन का अभियान चलाया। महिंद्राकर ने बताया कि ठाणे शहर के वसंत विहार, हीरानंदानी मीडोज, कलवा, खरेगांव, लोकमान्य नगर, नौपाड़ा, जंभली नाका, घोड़बंदर रोड इलाके मेंआवारा कुत्तों को रैबीज टीका लगाने का अभियान चलाया गया। जिसमें पॉज संस्था ने अपना अहम सहयोग दिया। दो दिनों में ही ५०० कुत्तों को टीका लगाया गया।
इस समय ठाणे शहर में ७० हजार से अधिक आवारा कुत्ते हैं। ठाणे मनपा द्वारा कुत्तों के बंध्याकरण अभियान को बंद किए जाने के कारण इसकी संखया लगातार बढ़ रही है। महिंद्र$्कर का कहना है कि साढ़े तीन $हजार करोड़ $बजट वाली ठाणे मनपा शहर में विकास की कागजी गंगा तो बहा रही है, लेकिन आवारा कुत्तों को लेकर किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है। ऐसी स्थिति में मनसे ने ठाणेकरों की परेशानी को देखते हुए उक्त पहल की।
आवारा कुत्तों के टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में देवेंद्र कदम, मनीष सावंत, संतोष कांबले, दत्ता चव्हाण, संकेत गलांडे, दीपक शिंदे, शेखर मोघे, प्रमोद सुंभे के साथ ही अन्य लोगों ने भरपूर सहयोग दिया। दूसरी ओर आवारा कुत्तों की हो रही मौतों को रोकने के लिए मनसे ने विशेष पहल भी की है। कुत्तों को रेडियम बेल्ट पहनाया गया है। ताकि वह दुर्घटनाओ का शिकार नहीं बने। इसके साथ ही महिंद्रकर ने ठाणे मनपा प्रशासन से मांग की है कि दशकों पहले वागले इस्टेट में २९ लाख की लागत से बने बंध्याकरण केंद्र को फिर शुरू किया जाए। तब जाकर ही ठाणेकों को कुत्ते के आतंक से मुक्ति संभव है।