प्रशासनिक स्तर पर कोली समाज बांधवों को किया जा रहा है प्रताडि़त
प्रशासनिक स्तर पर कोली समाज बांधवों
को किया जा रहा है प्रताडि़त
को किया जा रहा है प्रताडि़त
ठाणे। महाराष्ट्र में इस समय कोली समाज बांधवों को प्रशासनिक स्तर पर प्रताडि़त करने का काम किया जा रहा है। कुछ ऐसे बड़े अधिकारी हैं जो कोली समाज बांधवों का हित नहीं चाहते। वे अन्य जमात या जाति के प्रति अपनी सहानुभूति तो रखते हैं, लेकिन कोली समाज बांधवों पर प्रशासनिक अत्याचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
इसी का नमूना आदिवासी विभाग ने मराठवाडा में जात पडतालनी संदर्भ में एसआईटी जांच रिपोर्ट है। इन बातों का जिक्र महाराष्ट्र कोली समाज संघ के नवनियुक्त अध्यक्ष जयेश तरे ने राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील को दिए गए निवेदन में किया है। साथ ही उनसे मांग की गई है कि इस जांच रिपोर्ट पर तत्काल रोक लगाई जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हजारों मराठवाडा के सरकारीकर्मी अपनी आजीविका गंवा बैठेंगे। इसकी पूरी संभावना है।
इस संदर्भ में जयेश तरे ने बताया है कि औरंगाबाद राजस्व विभाग (मराठवाडा) ने जांच समिति रिपोर्ट जाहिर की है। यह रिपोर्ट पूरी तरह से असंगत है। यदि इस रिपोर्ट को मान्य किया गया तो मराठवाडा में रहनेवाले महादेव कोली, मल्हार कोली, टोकरे कोली, ठक्कर, ठाकुर, मन्नेरकलू जमाति पर अत्याचार के समान होगा। तरे ने इस रिपोर्ट पर रोक लगाने की मांग राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील से की है।
आगे तरे ने अपने निवेदन में इस बात का भी जिक्र किया है कि औरंगाबाद जांच पडतालनी समिति ने जात वैधता प्रमाणपत्र निर्गत किया है। जिसमें भिल्ल, अंध, पावरा, पारधी आदि को अनुसूचित जाति में शामिल किया है। उन्हें वैधता पत्र दिया गया है। इस जाति के साथ प्रशासनिक स्तर पर तो हमदर्दी दिखाई गई है। लेकिन कोली समाज बांधवों पर मराठवाडा में सकट के बादल जांच समिति के रिपोर्ट के कारण मंडरा रहे हैं। आफत की तलार उनके ऊपर लटक रही है। तरे ने गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील से निवेदन किया है कि गत २१ जुलाई २०२१ को जो आदिवासी विभाग ने जो रिपोर्ट जाति वैधता को लेकर र्साजनिक किया है, उसमें कई तरह की खामियां हैं। तरे का आरोप है कि कुछ अधिकारी कोली समाज बांधवों की जाति वैधता को लेकर सरकार को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। जयेश तरे की अगुवाई में राज्य के गृहंमत्री पाटील से मिलने जो शिष्टमंडल गया उसमें सचिव मदन भोई, मराठवाडा प्रमुख नगरसेवक सिद्धेश्वर कोली, उमरागाव के नगरसेवक पंढरीनाथ कोणे, बापु जगदे आदि शामिल थे।