ध्वनि और जयकारों से पूरा इलाका हुआ शिवमय
ध्वनि और जयकारों से पूरा इलाका हुआ शिवमय
आस्था का महापर्व महाशिवरात्रि
ठाणे। महाशिवरात्रि पर शनिवार को सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतार लगी रहीं। देवो के देव महादेव अर्थात भगवान शंकर की आराधना का पर्व और शिव-पार्वती के विवाह का उत्सव महाशिवरात्रि होता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव और शक्ति के मिलने के उत्सव के रूप में इस पर्व को मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। बड़े शिवालयों के अलावा छोटे मंदिरों में भी खासी भीड़ रही। बाद में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद जल और दुग्ध से अभिषेक किया। बेलपत्र, फल-फूल, मिष्ठान, धतूरा, शहद चढ़ाए और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना की। इस दौरान घंटों की ध्वनि और जयकारों से पूरा इलाका शिवमय हो गया। काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने व्रत भी रखा।महाशिवरात्रि पर्व को लेकर आकर्षक सजावट की गई। इस दौरान मंदिरों में भगवान शिव के जयकारे से गुंजायमान हो उठा समूचा मंदिर परिसर। मंदिरों में दिन भर भजन कीर्तन होते रहे तथा भक्तों का तांता लगा रहा।
ऊं म्हातार्डेश्वर शिव मंदिर म्हातार्डी दिवा उक्त शिव मंदिर की स्थापना 1982 में हुई। स्थापना से पूर्व यहां प्राचीन पांडव कालीन शिवलिंग था। इस मंदिर में बड़े बड़े संत महात्मा व नागा साधु ज्ञान साधना करने के लिए यहां आते थे। और होम हवन करके चले जाते थे। एक ओजस्वी महात्मा ने बताया था, कि इस प्रागंण में देवी देवताओं ने होम हवन किया था। इसलिए यह जगह बहुत ही पवित्र मानी जाती है। इस मंदिर में होम हवन पूजा- पाठ आराधना करने से मनोकामना की पूर्ति होती है। इसलिए मुंबई सहित आसपास के उपनगरों के पंडित यहां पूजा पाठ कराने आते हैं। यह मंदिर प्रांगण जागृति देव स्थान है।
महाशिवरात्रि पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पिछले कई वर्षों से मनाया जा रहा है। और कार्यक्रम में दो दिनों से हरिपाठ भजन और कीर्तन किया जाता है। और बड़ी संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन महाशिव भंडारे का आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु महाप्रसाद का लाभ उठाते हैं। भगवान जिनकी मान्यताओं को पूरा करते हैं। वह शिवभक्त अन्न दान भी करते हैं। ऊं म्हातार्डेश्वर शिव मंदिर के अध्यक्ष सदाशिव पाटील,उपाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील, सचिव जयदास शेलार, खजिनदार गोवर्धन पाटील सहित आदि कार्यकारणी मंडल के पदाधिकारियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।